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Thursday 6 November 2014

गंगा नहाने चल दिये !

गंगा-स्नान/नानक-जयन्ती(कार्त्तिक-पूर्णिमा) की सभी मित्रों को वधाई एवं तन-मन-रूह की शुद्धि हेतु मंगल कामना !
                           (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) 
                                            बगुला के लिए चित्र परिणाम

मछलियाँ खाकर हरि के गीत गाने चल दिये |
देखिये बगुले कई, गंगा नहाने चल दिये !!
मैल मन पर है लदी, सर पर है गठरी पाप की-
ये पाप धोने के लिये, डुबकी लगाने चल दिये ||
नहा-धो कर नदी में, कुछ मोटे साधू ढूँढ़ कर,
भगत जी बन कर चिलमची, दम लगाने चल दिये ||
ईमान बेचा, झूठी कसमें खा कभी थकते नहीं |
कर जेब भारी धर्म कुछ, थोड़े कमाने चल दिये ||
सियासत के पीर कुछ, जो मिले उनके शिष्य बन-
मुफ्त के तर माल खा कर, दुम हिलाने चल दिये ||
पाखण्ड-धरती, कुकर्मों का हल चला कर रात-दिन-
कलियुगी दुष्कर्म की फसलें उगाने चल दिये ||
“प्रसून” खुद भटके हुये, हैं पथप्रदर्शक बन गये,
उल्टे-सीधे ये हमें, रस्ते बताने चल दिये ||

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