गंगा-स्नान/नानक-जयन्ती(कार्त्तिक-पूर्णिमा) की सभी मित्रों को वधाई एवं तन-मन-रूह की शुद्धि हेतु मंगल कामना !
(सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार)
मछलियाँ खाकर
हरि के गीत गाने चल दिये |
देखिये बगुले
कई, गंगा नहाने चल दिये !!
मैल मन पर है
लदी, सर पर है गठरी पाप की-
ये पाप धोने के
लिये, डुबकी लगाने चल दिये ||
नहा-धो कर नदी
में, कुछ मोटे साधू ढूँढ़ कर,
भगत जी बन कर
चिलमची, दम लगाने चल दिये ||
ईमान बेचा,
झूठी कसमें खा कभी थकते नहीं |
कर जेब भारी
धर्म कुछ, थोड़े कमाने चल दिये ||
सियासत के पीर
कुछ, जो मिले उनके शिष्य बन-
मुफ्त के तर
माल खा कर, दुम हिलाने चल दिये ||
पाखण्ड-धरती,
कुकर्मों का हल चला कर रात-दिन-
कलियुगी दुष्कर्म
की फसलें उगाने चल दिये ||
“प्रसून” खुद भटके
हुये, हैं पथप्रदर्शक बन गये,
उल्टे-सीधे ये
हमें, रस्ते बताने चल दिये ||
मछलियाँ खाकर
हरि के गीत गाने चल दिये |
देखिये बगुले
कई, गंगा नहाने चल दिये !!
मैल मन पर है
लदी, सर पर है गठरी पाप की-
ये पाप धोने के
लिये, डुबकी लगाने चल दिये ||
नहा-धो कर नदी
में, कुछ मोटे साधू ढूँढ़ कर,
भगत जी बन कर
चिलमची, दम लगाने चल दिये ||
ईमान बेचा,
झूठी कसमें खा कभी थकते नहीं |
कर जेब भारी
धर्म कुछ, थोड़े कमाने चल दिये ||
सियासत के पीर
कुछ, जो मिले उनके शिष्य बन-
मुफ्त के तर
माल खा कर, दुम हिलाने चल दिये ||
पाखण्ड-धरती,
कुकर्मों का हल चला कर रात-दिन-
कलियुगी दुष्कर्म
की फसलें उगाने चल दिये ||
“प्रसून” खुद भटके
हुये, हैं पथप्रदर्शक बन गये,
उल्टे-सीधे ये
हमें, रस्ते बताने चल दिये ||
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